छठ पूजा कब है ? पूजन विधि और विस्तृत जानकारी !

छठ पूजा कब है ? पूजन विधि और विस्तृत जानकारी !

छठ पूजा 2023 ,19 एवं 20 नवम्बर 2023 को पूरे बिहार ,उत्तर प्रदेश सहित पूर्वांचल के सभी क्षेत्र तथा पुरे देश और विदेश में रह रहे बिहारिओं के द्वारा बोहोत ही धूम – धाम से मनाया जाएगा |

छठ पूजा कब है ? पूजन विधि और विस्तृत जानकारी !
छठ पूजा

आइये जानते हैं छठ पूजा की तिथि ,पूजन विधि , मान्यता ,और और छठ पूजा से जुड़े कुछ रोचक तथ्य !

कब है छठ पूजा ?

वैसे तो छठ पूजा १९ नवम्बर २०२३ एवं 20 नवम्बर २०२३ को है | पर छठ पूजा की शुरुआत छठ के दो दिन पहले यानी की १७ नवम्बर २०२३ से ही हो जाएगी | छार दिनों तक चलने वाला बिहार का यह महान पर्व नहाय-खाय से शुरू होकर ,सूर्य भगवान को सुबह में  दिए जाने वाले अर्घ्य नसे समाप्त होगा | इसमें खरना और सूर्य भगवन को शाम का अर्घ्य भी शामिल है |

17 नवम्बर – नहाय-खाय

18 नवम्बर – खरना

19 नवम्बर – शायं अर्घ्य

20 नवम्बर – प्रातः अर्घ्य

 

छठ पूजा कब है ? पूजन विधि और विस्तृत जानकारी !
छठ पूजा

 

पूजन विधि 

नहाय-खाय –  छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय से ही होती है जिसमे व्रत धारी बड़े ही शुद्धता से लौकी ,चना दाल की सब्जी , चावल और बिना लहसुन प्याज के और भी कई व्यंजन जैसे की चटनी , पकोरी या आलू का चोखा बनाते हैं और सूर्य भगवान्  को जल अर्पित कर बड़े ही श्रधा भाव से इस प्रसाद को ग्रहण करते हैं | इस दिन शाम में भी इसी प्रकार के भोजन के ग्रहण किया जाता है |

खरना –  इस दिन सभी व्रत धारी पुरे दिन बिना अन्न जल के उपवास रखते हैं | शाम में गुड की खीर ,और रोटी बड़े ही शुद्धता के साथ बना कर ,सबसे पहले सूर्य भगवान् को अर्पित कर के खुद ग्रहण करते हैं |इसे महा प्रसाद कहा जाता है , जिसे आस पास के पड़ोसिओ और रिश्तोदारो में बात जाता है | प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रत धारीओं का 36 घंटे से अधिक का उपवास शुरू हो जाता है |

शायं अर्घ्य – इस दिन व्रती पुरे दिन रात बिना अन्न जल के उपवास रखती हैं | शाम में डूबते हुए शुर्य भगवान् को अर्घ्य दिया जाता है | अर्घ्य बहते पानी जैसे की नहर, नदी या तालाब में दिया जाता है | बड़े शहरो में जहा यह आसानी से उपलब्ध नहीं होता है वह लोग घर में ही छोटे से तालाब का निर्माण कर के स्दुब्ते हुए सूर्य भगवान् को अर्घ्य समर्पित करते हैं |

अर्घ्य बांस के बने सूप या पित्तल के सूप से दिया जाता है जिसमे शुद्ध घी से बने ठेकुआ , जो की गेहू के आटे और गुड से बनता है तथा नारियल, सेब , केला , गन्ना , कच्चा हल्दी , कच्चा अदरख , और बाज़ार में मिलने वाले सभी प्रकार के नए फल प्रसाद के रूप में शामिल होते हैं | इसमें चावल के आटे और गुड से बना कच्वानिया भी शामिल होता है | इस दिन इस दिन शाम में लोग अपने घरो से नदी तक बांस का डलिया जिसे दउरा या बहंगी भी कहा जाता है उसमे सारा सामग्री जैसे की सूप फल और अन्य सामग्री लेकर  घाट तक जाते हैं | और नदी में नहाकर सूर्य देव को सूप से अर्घ्य  देते हैं | कई जगहों पर प्रसाद के रूप में खाजा नाम की एक मिठाई भी शामिल होती है |

प्रातः अर्घ्य – इस दिन भी सुबह सुबह लोग अपने घरो से शाम की तरह ही सभी सामान के साथ घाट तक जाते हैं और वही प्रक्रिया पूरी करके उगते हुए सूर्य भगवान् को अर्घ्य समर्पित करते हैं | जिसके बाद हवन करके पूजा संपन्न होता है और व्रत धारी अपना व्रत गरम पानी या चाय से तोड़ते हैं |

 

 

छठ पूजा कब है ? पूजन विधि और विस्तृत जानकारी !
छठ पूजा

 

मान्यता 

छठ पूजा घर की बड़ी और जेष्ठ औरतों या पुरुषो के द्वारा किया जाता है लेकिन इसे घर का कोई भी यास्क सदस्य कर सकता है |ऐसा माना जाता है की इस पूजा को करने से पुरे परिवार का कष्ट , दुःख और परेशानी दूर होता है | साथ ही साथ माँ अपने सन्तानो की लम्बी और स्वस्थ जीवन के लिए भी यह व्रत रखती हैं |

रोचक तथ्य

छठ पूजा बिहार और उत्तर प्रदेश के साथ पुरे देश में तथा विदेश भी धूम धाम से मनाया जाता है | भले ही यह हिन्दुओ का त्यौहार है पर लगभग हर धर्म के लोग इसे बड़े ही भाव भक्ति से मनाते हैं | कभी कभी तो ऐसे सुनने में भी आता है की अपने घर से बाहर शहरो में रह कर काम करने वाले लोग काम से छुट्टी न मिलने पर अपने काम को छोड़कर भी अपने घर इस महान पर्व को मनाने आते हैं|

 

छठ पूजा कब है ? पूजन विधि और विस्तृत जानकारी !
छठ पूजा

 

छठ पूजा बिहार वासिओ के लिए सिर्फ एक पर्व नहीं बल्कि एक इमोशन है जिसका इन्तेजार उन्हें पुरे साल रहता है क्युकी इसी पर्व में सभी परिवार रिश्तेदार एक साथ मिलकर इस पर्व को बड़े ही धूम धाम से मनाते हैं |

 

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