बांग्लादेश में चीन-पाक प्रभाव और सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर खतरे को लेकर नई रणनीति की मांग। क्या भारत को चिकन नेक को चौड़ा करना चाहिए? पढ़ें पूरी खबर।
हाल ही में एक चर्चित यूट्यूब वीडियो में एक रणनीतिक विश्लेषक ने बांग्लादेश और भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) को लेकर एक सनसनीखेज बात कही है। उनका दावा है कि बांग्लादेश में बढ़ते चीन और पाकिस्तान के प्रभाव के कारण भारत के लिए यह क्षेत्र एक गंभीर खतरे में पड़ गया है। इस वीडियो में विश्लेषक ने सुझाव दिया कि भारत को बांग्लादेश के एक हिस्से को काटकर चिकन नेक को चौड़ा करना चाहिए ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित हो सके। आइए, इस मुद्दे को विस्तार से समझते हैं और इसके पीछे की खबरों पर नजर डालते हैं।
बांग्लादेश में चीन-पाक प्रभाव बढ़ा
हाल के दिनों में बांग्लादेश के अंतरिम सरकार प्रमुख मोहम्मद यूनुस की चीन यात्रा और उनके बयानों ने भारत के लिए चिंता बढ़ा दी है। यूनुस ने सुझाव दिया कि चीन को बांग्लादेश में आर्थिक और सैन्य निवेश बढ़ाना चाहिए, खासकर भारत के पूर्वोत्तर राज्यों से सटे क्षेत्रों में। खबरों के मुताबिक, चीन ने लाल मोनेरहाट में एक पुराने बेस को हासिल करने की मांग की है, जो सिलीगुड़ी कॉरिडोर के बेहद करीब है। अगर यह बेस चीन के हाथों में जाता है, तो विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन सकता है। इसके अलावा, बांग्लादेश का पाकिस्तान के साथ सैन्य अभ्यास की योजना भी चर्चा में है, जो क्षेत्रीय तनाव को और बढ़ा सकती है।

सिलीगुड़ी कॉरिडोर: भारत की कमजोरी
सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे चिकन नेक के नाम से जाना जाता है, भारत को उसके पूर्वोत्तर राज्यों से जोड़ने वाला एक संकरा गलियारा है। इसकी चौड़ाई महज 20-22 किलोमीटर है, और यह नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से घिरा हुआ है। विश्लेषक का कहना है कि अगर चीन या पाकिस्तान इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करते हैं, तो यह गलियारा भारत की एकता के लिए स्थायी खतरा बन सकता है। वीडियो में 1999 के कारगिल युद्ध और चीन के डोकलाम गतिरोध का हवाला देकर यह दावा किया गया कि शत्रु देश हमेशा कमजोर कड़ियों पर नजर रखते हैं।
रणनीति में बदलाव की मांग
वीडियो में सुझाया गया है कि भारत को निष्क्रिय (रिएक्टिव) रणनीति छोड़कर सक्रिय (प्रोएक्टिव) कदम उठाने चाहिए। विश्लेषक ने कहा, “पाकिस्तान ने कारगिल में हमला किया, लेकिन हमने उसे खदेड़ दिया। उसी तरह, अगर हम अब कदम नहीं उठाएंगे, तो चीन का बेस बनने से पहले ही इस खतरे को खत्म करना होगा।” उनका सुझाव है कि चटगांव (चिट्टागोंग) क्षेत्र को नियंत्रित करके और चिकन नेक को चौड़ा करके भारत अपनी सुरक्षा मजबूत कर सकता है। हालांकि, कई लोग इसे व्यावहारिक और नैतिक रूप से संभव नहीं मानते।
जनता की राय
इस वीडियो पर सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं देखने को मिली हैं। कुछ लोग इसे रणनीतिक सोच मानते हैं, जबकि अन्य इसे असंभव और आक्रामक बताते हैं। एक यूजर ने कहा, “यह जेम्स बॉन्ड जैसी फिल्मी बातें हैं, असल में ऐसा हो नहीं सकता।” दूसरी ओर, कुछ का मानना है कि भारत को अपनी ताकत का इस्तेमाल कर अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
विशेषज्ञों का नजरिया
विशेषज्ञों के मुताबिक, बांग्लादेश में चीन की बढ़ती मौजूदगी और इस्लामिक कट्टरपंथ का उभार भारत के लिए चिंता का विषय है। हाल के समाचारों में बताया गया है कि बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले और भारत-विरोधी रैलियां बढ़ी हैं। इसके साथ ही, चिकन नेक पर निर्भरता कम करने के लिए भारत सरकार ने नेपाल के रास्ते रेलवे ट्रैक बनाने की योजना शुरू की है, जो एक लंबी अवधि का समाधान हो सकता है।

सैन्य कदम का दुसरे देशों और संयुक्त राष्ट्र (UN) का रिएक्शन
अगर भारत बांग्लादेश के खिलाफ सिलीगुड़ी कॉरिडोर को चौड़ा करने या सैन्य कदम उठाने जैसा कदम उठाता है, तो संभावित प्रतिक्रियाएँ इस प्रकार हो सकती हैं:
- संयुक्त राष्ट्र (UN): UN इस कदम की निंदा कर सकता है और शांति वार्ता की मांग कर सकता है। संभवतः हल्की पाबंदियाँ या जांच समिति गठित की जा सकती है, लेकिन ठोस कार्रवाई पर राजनीतिक मतभेदों के कारण असर सीमित रह सकता है।
- अमेरिका और यूरोप: ये देश औपचारिक रूप से निंदा कर सकते हैं और मानवाधिकार उल्लंघन का हवाला देकर प्रतिबंध लगाने की बात कह सकते हैं, लेकिन रणनीतिक हितों (जैसे चीन के प्रभाव को रोकना) के चलते सख्त रुख अपनाने में हिचकिचाहट हो सकती है।
- चीन: चीन इसका कड़ा विरोध करेगा और बांग्लादेश का समर्थन करते हुए भारत को कमजोर करने की कोशिश कर सकता है, शायद सैन्य या आर्थिक मदद बढ़ाकर।
- रूस: रूस तटस्थ रह सकता है या भारत का समर्थन कर सकता है, खासकर अगर उसे अपने हितों (जैसे ऊर्जा सौदे) की रक्षा दिखे।
- पड़ोसी देश (नेपाल, भूटान, श्रीलंका): ये देश चिंता जता सकते हैं और भारत के प्रभाव से बचने के लिए सतर्क रुख अपनाएंगे। या स्थिति के अनुसार बदल भी सकते हैं, यह कूटनीति और वैश्विक दबाब पर निर्भर हो सकता है।
निष्कर्ष
बांग्लादेश और चिकन नेक के मुद्दे पर बहस तेज हो गई है। वीडियो में प्रस्तुत विचार भले ही विवादास्पद हों, लेकिन यह सवाल जरूर उठाते हैं कि क्या भारत को अपनी रक्षा नीति में बदलाव लाना चाहिए? विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए कूटनीति और सैन्य तैयारियों का संतुलन जरूरी है। क्या आप इस रणनीति से सहमत हैं? अपने विचार कमेंट में साझा करें।
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