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Tilka Manjhi Birth anniversary : अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के एक गुमनाम नायक तिलका मांझी

Tilka Manjhi Birth anniversary : अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के एक गुमनाम नायक तिलका मांझी

Tilka Manjhi Birth anniversary : अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के एक गुमनाम नायक तिलका मांझी

कई इतिहासकारों का मानना है की तिलका मांझी के नेतृत्व में हुआ विद्रोह विदेशी शासन के खिलाफ आजादी की पहली लड़ाई थी

तिलका मांझी: भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी का योगदान

तिलका मांझी भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी माने जाते हैं। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई शुरू की और आदिवासी समुदाय के अधिकारों के लिए संघर्ष किया। उनका जीवन और संघर्ष भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।

तिलका मांझी का प्रारंभिक जीवन

तिलका मांझी का जन्म 11 फरवरी 1750 को झारखंड के सुल्तानगंज के पास तिलकपुर गांव में हुआ था। वे संथाल आदिवासी समुदाय से थे। बचपन से ही उन्हें प्रकृति और जंगल से गहरा लगाव था। उन्होंने जंगलों में रहकर ही अपना जीवन बिताया और वहां के लोगों के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई की तैयारी की।

अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष

अंग्रेजों ने भारत में अपना शासन स्थापित करने के बाद आदिवासी समुदाय के लोगों पर अत्याचार शुरू कर दिया। उन्होंने जंगलों को कब्जाना शुरू किया और आदिवासियों को उनकी जमीन से बेदखल कर दिया। तिलका मांझी ने इसका विरोध किया और लोगों को एकजुट करके अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई शुरू की।

1784 में, तिलका मांझी ने अंग्रेजों के खिलाफ पहला बड़ा हमला किया। उन्होंने भागलपुर के कलेक्टर ऑगस्टस क्लीवलैंड पर हमला करके उसे मार डाला। इस घटना ने अंग्रेजों को हिला कर रख दिया और तिलका मांझी को एक बड़े विद्रोही के रूप में पहचान मिली।

तिलका मांझी की गिरफ्तारी और शहादत

अंग्रेजों ने तिलका मांझी को पकड़ने के लिए बड़ी ताकत लगाई। 1785 में, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। अंग्रेजों ने उन्हें सजा देने के लिए भागलपुर ले जाया और वहां उन्हें फांसी दे दी गई। कहा जाता है कि उन्हें घोड़े से बांधकर सड़कों पर घसीटा गया और फिर फांसी दी गई।

तिलका मांझी की विरासत

तिलका मांझी की शहादत ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। उन्होंने यह साबित कर दिया कि अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई जीती जा सकती है। उनके संघर्ष ने आने वाले कई स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया।

आज भी तिलका मांझी को भारत के पहले स्वतंत्रता सेनानी के रूप में याद किया जाता है। झारखंड में उनकी याद में कई स्मारक बनाए गए हैं और उनके नाम पर कई संस्थान चलाए जा रहे हैं।

निष्कर्ष

तिलका मांझी का जीवन और संघर्ष हमें यह सिखाता है कि अन्याय के खिलाफ लड़ाई में कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने अपने साहस और बलिदान से भारत के स्वतंत्रता संग्राम की नींव रखी। उनकी कहानी हमें हमेशा प्रेरित करती रहेगी।

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